मेन्टेनेन्स सूट (Maintenance Suit) क्या होता है? | पूरी जानकारी आसान भाषा में

 

मेन्टेनेन्स सूट (Maintenance Suit) क्या होता है? | पूरी जानकारी आसान भाषा में

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आज के समय में पत्नी, बच्चे या माता-पिता को उनके कानूनी अधिकार के रूप में गुज़ारा भत्ता (Maintenance) मिलना एक बहुत ज़रूरी सुरक्षा है। जब कोई व्यक्ति अपने जीवनसाथी या माता-पिता की आर्थिक ज़िम्मेदारी पूरी नहीं करता, तब कानून एक रास्ता देता है — Maintenance Suit दायर करने का।

इस ब्लॉग में हम आसान भाषा में समझेंगे:

  • Maintenance Suit क्या है

  • यह कब दायर किया जाता है

  • किस कानून के तहत केस होता है

  • जरूरी दस्तावेज

  • कितना मेन्टेनेन्स मिल सकता है

  • कितने समय में फैसला मिलता है

  • कोर्ट प्रक्रिया पूरी कैसे होती है


Maintenance Suit क्या होता है?

Maintenance Suit एक ऐसा सिविल/क्रिमिनल प्रकृति वाला कानूनी दावा है, जिसमें आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति कोर्ट से गुज़ारा भत्ता मांगता है, ताकि उसका जीवन सम्मानपूर्वक चल सके।

यह केस तीन प्रमुख स्थितियों में होता है:

  1. पत्नी द्वारा पति से Maintenance

  2. बच्चे द्वारा माता-पिता से Maintenance

  3. माता-पिता द्वारा बच्चों से Maintenance


Maintenance Suit किन कानूनों के तहत दायर होता है?

भारत में मेन्टेनेन्स पाने के कई प्रावधान मौजूद हैं, जैसे:

1. क्रिमिनल प्रोसीजर कोड — Section 125 CrPC

सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होने वाली धारा।

  • जल्दी फैसला मिलता है

  • Interim maintenance भी मिल जाता है

  • Hindu, Muslim, Christian सभी पर लागू

2. हिंदू विवाह अधिनियम (HMA) — Section 24 & 25

  • तलाक या matrimonial केस चल रहा हो तो Maintenance मिलता है

  • Husband या Wife दोनों मांग सकते हैं

3. Hindu Adoption & Maintenance Act — Section 18 & 20

  • पत्नी और बच्चे Maintenance मांग सकते हैं

4. Domestic Violence Act — Section 20

  • महिलाओं को आर्थिक सहायता मिल सकती है


कौन Maintenance Claim कर सकता है?

  • पत्नी (चाहे शादी टूटी हो या न हो)

  • नाबालिग बच्चे

  • विकलांग/अशक्त बच्चे

  • माता-पिता

  • तलाक के बाद भी पत्नी (HMA Section 25 के तहत)


Maintenance Suit कब दायर किया जाता है?

  • पति पत्नी के खर्च नहीं दे रहा हो

  • घर से निकाल देना / मानसिक या शारीरिक cruelty

  • पति की स्थिर आय होने के बावजूद neglect

  • बच्चे की पढ़ाई, दवाई या खान-पान के खर्च पूरे न होना

  • माता-पिता का उपेक्षित होना


Maintenance Case में कितना गुज़ारा भत्ता मिल सकता है?

Maintenance की राशि तय करने के लिए कोर्ट इन बातों को देखता है:

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  • पति/बच्चों/बुजुर्गों की जरूरतें

  • कमाने वाले व्यक्ति की आय (Salary/Business Income)

  • जीवन स्तर (Standard of Living)

  • मेडिकल खर्च

  • शिक्षा खर्च

  • अन्य आर्थिक ज़िम्मेदारियाँ

सामान्यतः कोर्ट पति की कुल आय का 20% से 40% तक Maintenance तय कर सकता है (Case-to-case फर्क होता है)।


Maintenance Case दायर करने के लिए जरूरी दस्तावेज

  • शादी का प्रमाण (Marriage Certificate / फोटो)

  • आधार / पहचान पत्र

  • आय प्रमाण (Salary slip / Income certificate of husband if available)

  • खर्चों की सूची

  • अलग रहने का कारण

  • बच्चे के स्कूल / मेडिकल रिकॉर्ड


Maintenance Suit दायर करने की कोर्ट प्रक्रिया

Step 1: Complaint / Application दाखिल करना
Section 125 CrPC / HMA / DV Act के तहत।

Step 2: Court Notice Issued
ग़ैर-जिम्मेदार spouse या children को नोटिस भेजा जाता है।

Step 3: Reply & Evidence
दोनों पक्ष अपने सबूत देते हैं।

Step 4: Interim Maintenance
कोर्ट तुरंत आर्थिक सहायता दे सकता है।

Step 5: Final Order
कोर्ट सभी परिस्थितियों को देखकर Maintenance तय करता है।


Maintenance Case का फैसला कितने समय में आता है?

  • Interim Order: 1–6 महीने

  • Final Decision: 6 महीने–2 साल (Case पर निर्भर करता है)


Maintenance Suit क्यों जरूरी है?

  • आर्थिक सुरक्षा देता है

  • महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के अधिकार सुरक्षित रखता है

  • न्याय प्रणाली सुनिश्चित करती है कि कोई भी बेसहारा न रहे


Conclusion

Maintenance Suit परिवार और समाज दोनों के लिए महत्वपूर्ण सुरक्षा प्रदान करता है। अगर पति, बच्चे या माता-पिता आर्थिक रूप से परेशान हों और उनका गुज़ारा मुश्किल हो जाए — तो कानून उन्हें मजबूत सहारा देता है।

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