क्या कोर्ट मैरिज बिना पैरेंट्स की परमिशन के पॉसिबल है?
🔹 प्रस्तावना
भारत में शादी को केवल एक सामाजिक ही नहीं, बल्कि कानूनी बंधन भी माना जाता है। आज के आधुनिक समय में जब युवाओं को अपनी पसंद से जीवनसाथी चुनने की आज़ादी है, तब सबसे बड़ा सवाल यही उठता है — क्या कोर्ट मैरिज माता-पिता की अनुमति के बिना संभव है?इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि भारतीय कानून इस विषय पर क्या कहता है, कौन-से नियम लागू होते हैं, और किन परिस्थितियों में बिना पैरेंट्स की सहमति कोर्ट मैरिज की जा सकती है।
🔹 कोर्ट मैरिज क्या है?
कोर्ट मैरिज (Court Marriage) एक वैधानिक विवाह प्रक्रिया है जो Special Marriage Act, 1954 के तहत की जाती है।
यह विवाह किसी भी धर्म, जाति, या राज्य के व्यक्ति के बीच हो सकता है, और इसमें धार्मिक रस्मों की आवश्यकता नहीं होती।
📘 कोर्ट मैरिज की मुख्य विशेषताएँ:
-
यह विवाह पूरी तरह से कानूनी है।
-
इसमें कोई धार्मिक अनुष्ठान ज़रूरी नहीं होता।
-
यह विवाह रजिस्ट्रार ऑफिस में होता है।
-
दोनों पक्षों की स्वतंत्र सहमति आवश्यक होती है।
🔹 क्या माता-पिता की अनुमति आवश्यक है?
संक्षेप में उत्तर है — नहीं।
यदि दोनों व्यक्ति 18 वर्ष (लड़की) और 21 वर्ष (लड़का) की कानूनी उम्र पूरी कर चुके हैं, तो वे माता-पिता की अनुमति के बिना भी कोर्ट मैरिज कर सकते हैं।
भारतीय संविधान ने हर वयस्क नागरिक को यह मौलिक अधिकार दिया है कि वह अपनी पसंद के व्यक्ति से विवाह कर सके।
⚖️ कानूनी आधार:
-
Special Marriage Act, 1954 की धारा 4 के अनुसार,
विवाह तभी वैध होगा जब दोनों पक्ष स्वतंत्र रूप से सहमति दें और कानूनी आयु पूरी कर चुके हों। -
संविधान का अनुच्छेद 21 (Right to Life and Liberty) व्यक्ति को अपनी पसंद के जीवनसाथी चुनने की स्वतंत्रता देता है।
-
High Courts और Supreme Court ने कई बार कहा है कि माता-पिता की सहमति जरूरी नहीं यदि दोनों वयस्क हैं।
🔹 सुप्रीम कोर्ट का दृष्टिकोण
सुप्रीम कोर्ट ने अपने कई निर्णयों में स्पष्ट कहा है कि —
“एक वयस्क व्यक्ति को अपने जीवनसाथी का चयन करने का पूरा अधिकार है, और किसी भी व्यक्ति, परिवार, समाज या राज्य को इसमें दखल देने का अधिकार नहीं है।”
महत्वपूर्ण केस उदाहरण:
-
Lata Singh vs State of U.P. (2006)
कोर्ट ने कहा कि वयस्कों को इंटर-कास्ट या इंटर-रिलीजन मैरिज का अधिकार है। -
Shakti Vahini vs Union of India (2018)
इसमें कहा गया कि “ऑनर किलिंग” जैसी प्रथाएं असंवैधानिक हैं और कोई भी संस्था या परिवार वयस्कों की शादी रोक नहीं सकता।
🔹 कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया (Step-by-Step)
-
Notice of Intended Marriage:
दोनों पक्ष Marriage Officer को लिखित सूचना देते हैं कि वे विवाह करना चाहते हैं। -
30 दिन का नोटिस:
रजिस्ट्रार ऑफिस में यह नोटिस सार्वजनिक रूप से 30 दिन के लिए चिपकाया जाता है। -
Objection का मौका:
यदि किसी को कोई वैध आपत्ति है तो वह इस अवधि में दर्ज करा सकता है। -
Marriage Registration:
30 दिन बाद, यदि कोई आपत्ति नहीं आती, तो दोनों पक्षों और 3 गवाहों की उपस्थिति में विवाह रजिस्ट्रार द्वारा संपन्न कराया जाता है। -
Marriage Certificate:
विवाह के तुरंत बाद विवाह प्रमाणपत्र जारी किया जाता है जो कानूनी रूप से विवाह का सबूत होता है।
🔹 किन दस्तावेज़ों की आवश्यकता होती है?
-
आधार कार्ड / वोटर कार्ड / पासपोर्ट
-
जन्म प्रमाणपत्र / आयु प्रमाणपत्र
-
पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ (6-6 प्रत्येक पक्ष से)
-
अविवाहित प्रमाणपत्र (Affidavit)
-
पता प्रमाण (Address Proof)
-
3 गवाहों के आईडी कार्ड और फोटो
🔹 अगर माता-पिता विरोध करते हैं तो क्या करें?
यदि आपके माता-पिता या परिवार वाले कोर्ट मैरिज का विरोध करते हैं, तो आप:
-
किसी विश्वसनीय स्थान पर रहकर आवेदन कर सकते हैं।
-
यदि धमकी या हिंसा का डर हो तो पुलिस संरक्षण (Police Protection) की मांग कर सकते हैं।
-
High Court में Writ Petition दायर करके सुरक्षा आदेश प्राप्त किया जा सकता है।
🔹 समाज और कानूनी जिम्मेदारी
हालांकि कोर्ट मैरिज कानूनन वैध है, लेकिन समाजिक दबाव या विरोध को देखते हुए जोड़े को अपनी सुरक्षा, मानसिक तैयारी और कानूनी सलाह ज़रूर लेनी चाहिए।
कई बार स्थानीय प्रशासन को सूचना देना या वकील की मदद लेना भी समझदारी भरा कदम होता है।
🔹 निष्कर्ष
इस ब्लॉग से यह स्पष्ट होता है कि —
✅ हाँ, कोर्ट मैरिज बिना पैरेंट्स की अनुमति के पूरी तरह से संभव और वैध है,
बशर्ते कि दोनों पक्ष वयस्क हों और स्वतंत्र रूप से अपनी सहमति दें।
भारतीय कानून व्यक्ति की स्वतंत्रता और व्यक्तिगत पसंद का सम्मान करता है।
इसलिए हर वयस्क को अपने जीवनसाथी चुनने का अधिकार है, चाहे परिवार की सहमति हो या न हो।
Comments
Post a Comment