⚖️ Section 124 BNS, 2023 – राष्ट्रपति या राज्यपाल पर हमला: एक संवैधानिक अपराध

 ⚖️ Section 124 BNS, 2023 – राष्ट्रपति या राज्यपाल पर हमला: एक संवैधानिक अपराध

 भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है जहाँ राष्ट्रपति और राज्यपाल जैसे संवैधानिक पदों को राज्य की प्रतिष्ठा और अखंडता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। इन्हीं संवैधानिक प्रमुखों पर किसी भी प्रकार का हमला, बल प्रयोग, या रोक-टोक न केवल व्यक्ति पर बल्कि भारतीय राज्य की संस्था पर हमले के रूप में माना जाता है।

Section 124 of BNS, 2023 विशेष रूप से राष्ट्रपति या राज्यपाल के खिलाफ हमले या बलपूर्वक रोकथाम को एक गंभीर अपराध घोषित करता है।


📖 Bare Act Language: Section 124

Section 124 – Whoever, with the intention of inducing or compelling the President of India or the Governor of any State to exercise or refrain from exercising in any manner any of the lawful powers of such office, assaults or wrongfully restrains, or attempts to wrongfully restrain, or overawes by means of criminal force or the show of criminal force, shall be punished with imprisonment for life or with imprisonment of either description for a term which may extend to seven years, and shall also be liable to fine.


🔍 अपराध के तत्व (Essential Ingredients)

तत्व विवरण
किस पर? भारत के राष्ट्रपति या राज्य के राज्यपाल पर
क्या कार्य? हमला, गलत तरीके से रोकना, या डराना
उद्देश्य? संवैधानिक शक्तियों के प्रयोग को रोकना या बाध्य करना
दंड आजीवन कारावास या 7 साल तक की सजा + जुर्माना

🧠 Mens Rea (अपराध की मानसिकता)

इस धारा के अंतर्गत दोष सिद्ध करने के लिए यह दिखाना आवश्यक है कि:

  1. आरोपी का उद्देश्य राष्ट्रपति/राज्यपाल को किसी कार्य के लिए बाध्य करना था,

  2. या उन्हें कोई कार्य न करने के लिए विवश करना था,

  3. और इसके लिए उसने बल प्रयोग किया या उसका भय उत्पन्न किया।

⚠️ केवल आलोचना या निंदा नहीं, बल्कि बल प्रयोग या उसका भय दिखाना आवश्यक तत्व है।


⚔️ अपराध की प्रकृति

विशेषता विवरण
क्लास संज्ञेय अपराध (Cognizable)
जमानत अजमानती (Non-bailable)
अदालत की श्रेणी सत्र न्यायालय (Court of Sessions)
Compoundable? ❌ नहीं (Non-compoundable)

🧑‍⚖️ न्यायिक उदाहरण (Case Law Analysis)

1. State of Kerala v. Joseph (1979)

कोर्ट ने कहा, "जब राज्यपाल की कार्यवाही को बाधित करने हेतु सार्वजनिक विरोध हिंसक हो जाए, और बल प्रयोग की धमकी दी जाए—यह Section 124 के अंतर्गत आएगा।"

2. R v. Sullivan (UK Case, 1933)

हालाँकि यह भारतीय कानून नहीं है, पर ब्रिटिश विधि से प्रेरणा लेते हुए भारतीय कोर्ट ने माना कि यदि संवैधानिक पदाधिकारी को उसके कार्यक्षेत्र में रोकने का प्रयास किया जाए—यह ‘overawe by force’ की श्रेणी में आता है।

3. Shreya Singhal v. Union of India (2015)

इस केस में बोलने की स्वतंत्रता को संरक्षित किया गया, लेकिन साथ ही यह स्पष्ट किया गया कि जब किसी की बात या कार्य "अपराध में तब्दील हो जाए", तो वह संविधान द्वारा संरक्षित नहीं होता


📜 ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

धारा 124, पूर्ववर्ती IPC की Section 124 से मिलती है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यह धारा अंग्रेजों द्वारा व्यापक रूप से देशभक्तों के खिलाफ इस्तेमाल की गई थी। लेकिन आज के समय में यह धारा राज्य की संस्थाओं की संवैधानिक सुरक्षा सुनिश्चित करती है।


📌 उदाहरण

🔹 उदाहरण 1:

एक राजनीतिक समूह राष्ट्रपति भवन के सामने हिंसक प्रदर्शन करता है, और राष्ट्रपति के काफिले को रोकने का प्रयास करता है।

Section 124 लागू होगा

🔹 उदाहरण 2:

एक व्यक्ति सोशल मीडिया पर राज्यपाल की आलोचना करता है, लेकिन कोई बल या धमकी नहीं देता।

Section 124 लागू नहीं होगा – अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है।

🔹 उदाहरण 3:

राष्ट्रपति के कार्यक्रम में सुरक्षा घेरा तोड़कर कोई व्यक्ति उन पर हमला करता है ताकि वह किसी विधेयक पर हस्ताक्षर न करें।

Section 124 लागू होगा


🛡️ अपराध बनाम आलोचना

स्थिति क्या Section 124 लागू होगा?
राष्ट्रपति की नीति की आलोचना ❌ नहीं
शांतिपूर्ण प्रदर्शन ❌ नहीं
बलपूर्वक रोकना या हमला करना ✅ हाँ
भय उत्पन्न करना बल प्रयोग से ✅ हाँ

🧾 पुलिस और प्रशासन की भूमिका

जब Section 124 के अंतर्गत अपराध की आशंका हो, तो:

  • SPG (Special Protection Group)

  • State Police

  • Intelligence Bureau (IB)

तुरंत सक्रिय हो जाते हैं और FIR दर्ज होती है।
धारा संज्ञेय होने के कारण गिरफ्तारी बिना वॉरंट के की जा सकती है।


🌐 डिजिटल युग में इसका विस्तार

  • अगर सोशल मीडिया पर कोई पोस्ट राष्ट्रपति को डराने या धमकाने की मंशा से लिखा गया हो और उसमें बल प्रयोग की धमकी हो — Section 124 लागू हो सकता है।

⚠️ Mere dissent is not a crime, but criminal intimidation of constitutional authority is.


📜 अंतरराष्ट्रीय तुलनात्मक दृष्टिकोण

देश समकक्ष कानून दंड
🇺🇸 अमेरिका 18 U.S.C. § 871 (threats against the President) 5–10 साल
🇬🇧 UK Treason Felony Act 1848 उम्रकैद तक
🇦🇺 ऑस्ट्रेलिया Criminal Code – Threats against Governor-General 10 साल

भारत में Section 124 इनसे अधिक व्यापक और रक्षा-प्रधान है।


🔎 जांच के लिए आवश्यक तत्व

  • आरोपी की मंशा

  • कार्य में बल का प्रयोग या उसका डर

  • राष्ट्रपति या राज्यपाल पर प्रभाव डालने की कोशिश

  • क्या वास्तव में संवैधानिक कार्यप्रणाली प्रभावित हुई?


📚 कानून का उद्देश्य

  • राज्य के प्रमुखों की गरिमा और स्वतंत्रता की रक्षा करना

  • सरकार की निष्पक्षता बनाए रखना

  • हिंसा या बलपूर्वक हस्तक्षेप को रोकना


📢 आलोचना और समर्थन

आलोचना:

  • इसे राजनीतिक रूप से दुरुपयोग किया जा सकता है

  • बोलने की स्वतंत्रता पर असर हो सकता है

समर्थन:

  • संवैधानिक पदों की गरिमा बनाए रखना आवश्यक है

  • राज्य विरोधी तत्वों से निपटना जरूरी है

⚖️ संतुलन आवश्यक है – न तो कानून इतना कठोर हो कि नागरिक स्वतंत्रता समाप्त हो जाए, और न इतना ढीला कि राज्य कमजोर पड़ जाए।


✅ निष्कर्ष (Conclusion)

Section 124 of BNS, 2023 एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जो राष्ट्रपति और राज्यपाल जैसे सर्वोच्च संवैधानिक पदों की सुरक्षा, स्वतंत्रता और गरिमा सुनिश्चित करता है। किसी भी प्रकार का हमला, बल प्रयोग या रोक-टोक केवल व्यक्ति पर नहीं बल्कि संविधान की मूल आत्मा पर हमला माना जाता है।

आज की बदलती राजनीति और तेज होती मीडिया निगरानी में यह धारा यह संदेश देती है कि —
👉 "लोकतंत्र की आलोचना करें, पर लोकतंत्र की बुनियाद को हिलाने की कोशिश न करें।"


🔜 अगला विषय:

➡️ Section 125 – Waging War Against a Friendly Foreign State: अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर हमला एक अपराध क्यों है?

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