BNSS धारा 484 – अग्रिम जमानत का अधिकार: अब क्या बदला है?
श्रेणी: आपराधिक प्रक्रिया | BNSS Series
✍️ परिचय:
कई बार किसी व्यक्ति को डर होता है कि उसे झूठे मुकदमे में फंसाया जा सकता है और पुलिस उसे कभी भी गिरफ्तार कर सकती है। ऐसे में अग्रिम जमानत (Pre-arrest Bail) एक कानूनी सुरक्षा है। BNSS की धारा 484, CrPC की धारा 438 के स्थान पर लागू हुई है और यह नागरिकों को गिरफ्तारी से पहले राहत पाने का अधिकार देती है।
📜 धारा 484 – मुख्य प्रावधान:
-
अग्रिम जमानत का आवेदन:
कोई भी व्यक्ति जिसे गिरफ्तारी की आशंका हो, सत्र न्यायालय (Sessions Court) या उच्च न्यायालय (High Court) में अग्रिम जमानत की अर्जी दे सकता है। -
न्यायालय का विवेक:
अदालत यह देखेगी:-
क्या आरोप गंभीर है?
-
क्या गिरफ्तारी की जरूरत है?
-
क्या आरोपी जांच में सहयोग करेगा?
-
क्या शिकायत दुर्भावनापूर्ण है?
-
-
शर्तें:
अदालत अग्रिम जमानत देते समय कुछ शर्तें लगा सकती है, जैसे:-
पुलिस जांच में सहयोग देना
-
गवाहों से संपर्क न करना
-
विदेश न जाना
-
-
जमानत के बाद गिरफ्तारी पर रोक:
एक बार अग्रिम जमानत मिल जाए, तो पुलिस बिना अनुमति गिरफ्तार नहीं कर सकती।
📌 BNSS में क्या नया है?
| पहलू | CrPC (धारा 438) | BNSS (धारा 484) |
|---|---|---|
| प्रारूप | परंपरागत | डिजिटल आवेदन की अनुमति |
| गाइडलाइन | अस्पष्ट | जमानत शर्तों का स्पष्ट निर्धारण |
| महिलाओं, बच्चों को प्राथमिकता | उल्लेख नहीं | संवेदनशील वर्गों को विशेष संरक्षण |
🎯 उदाहरण:
-
एक सरकारी कर्मचारी के खिलाफ झूठे भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए। गिरफ्तारी की आशंका के कारण उन्होंने धारा 484 के तहत अग्रिम जमानत ली, और गिरफ्तारी से बचे।
-
एक महिला को दहेज मामले में झूठे फंसाए जाने का डर था — अदालत ने उन्हें अग्रिम जमानत दी और सख्त शर्तों के साथ गिरफ्तारी रोकी।
❗ ध्यान दें:
-
अग्रिम जमानत कोई मूल अधिकार नहीं, बल्कि अदालती विवेक पर आधारित है।
-
गंभीर अपराध (जैसे बलात्कार, आतंकवाद) में यह आमतौर पर नहीं मिलती।
-
अग्रिम जमानत मिलने के बाद यदि शर्तों का उल्लंघन किया गया, तो अदालत इसे रद्द कर सकती है।
निष्कर्ष:
BNSS धारा 484 आम नागरिकों के लिए एक प्रभावी सुरक्षा कवच है। अब न्यायालय द्वारा निर्धारित मानदंडों और तकनीकी सुगमता के चलते झूठी गिरफ्तारी से बचाव संभव है।
✉️ संपर्क करें:
क्या आपको डर है कि झूठे केस में फंसाकर गिरफ्तार किया जा सकता है? अभी विशेषज्ञ कानूनी मदद लें:
एडवोकेट अनुराग गुप्ता
📱 मोबाइल: 8240642015
📲 व्हाट्सएप: 8931942803
📧 ईमेल: gripshawlaw2005@gmail.com
Comments
Post a Comment