तलाक और भरण-पोषण में कानूनी सलाह: अपने अधिकार जानें

तलाक और भरण-पोषण में कानूनी सलाह: अपने अधिकार जानें

भूमिका:

विवाह एक सामाजिक बंधन है, लेकिन जब यह संबंध तनावपूर्ण या असहनीय हो जाता है, तो तलाक एक कानूनी रास्ता बन जाता है। तलाक के साथ-साथ भरण-पोषण (maintenance) का मुद्दा भी उठता है, जो पति या पत्नी में से किसी एक को आर्थिक सहायता देने से जुड़ा होता है। ऐसे मामलों में सही और समय पर कानूनी सलाह बहुत ज़रूरी है।


भारत में तलाक के कानूनी आधार:

  1. क्रूरता (Cruelty)

  2. व्यभिचार (Adultery)

  3. धर्मांतरण (Conversion)

  4. मानसिक विकार

  5. विलगता (Separation)

  6. परस्पर सहमति से तलाक (Mutual Consent Divorce)


तलाक के प्रकार:

  • आपसी सहमति से तलाक (Mutual Divorce): सरल और समय की बचत करने वाला विकल्प।

  • एकतरफा तलाक (Contested Divorce): जब एक पक्ष सहमत नहीं हो। इसमें कोर्ट प्रक्रिया लंबी होती है।


भरण-पोषण का अधिकार:

  • भारतीय दंड संहिता की धारा 125 CrPC के अंतर्गत पत्नी, बच्चे और माता-पिता भरण-पोषण की मांग कर सकते हैं।

  • पत्नी अगर अस्वावलंबी (dependent) है, तो पति को भरण-पोषण देना होता है।

  • यदि पत्नी खुद कमाने में सक्षम हो, तो भरण-पोषण से छूट भी मिल सकती है।

  • पति भी विशेष परिस्थितियों में पत्नी से भरण-पोषण मांग सकता है।


कानूनी सलाह कब लें?

  • जब वैवाहिक जीवन तनावपूर्ण हो जाए।

  • जब मानसिक, भावनात्मक या शारीरिक प्रताड़ना हो रही हो।

  • जब आर्थिक सहायता की ज़रूरत हो।

  • जब बच्चे की कस्टडी (custody) को लेकर विवाद हो।

  • जब दोनों पक्ष तलाक के लिए सहमत हों और प्रक्रिया शुरू करनी हो।


सलाह:

  • बिना वकील की सलाह के तलाक की प्रक्रिया शुरू न करें।

  • Mutual Divorce में सही ड्राफ्टिंग से समय और विवाद दोनों की बचत होती है।

  • अगर पति-पत्नी के बीच समझौता संभव हो, तो कोर्ट द्वारा Mediation एक बेहतर विकल्प हो सकता है।


📞 तलाक व भरण-पोषण मामलों में कानूनी सलाह के लिए संपर्क करें:
अधिवक्ता अनुराग गुप्ता
मोबाइल: 8240642015
WhatsApp: 8931942803
Email: gripshawlaw2005@gmail.com


 

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