गुजारा भत्ता (Alimony) और भारत में मेंटेनेंस कानून

 

गुजारा भत्ता (Alimony) और भारत में मेंटेनेंस कानून

गुजारा भत्ता (Alimony) एक कानूनी प्रावधान है, जिसके तहत तलाक के बाद पति या पत्नी को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आर्थिक रूप से कमजोर पक्ष तलाक के बाद भी सम्मानजनक जीवन व्यतीत कर सके। भारत में यह प्रावधान विभिन्न कानूनी अधिनियमों के तहत लागू होता है। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि गुजारा भत्ता क्या होता है, इसे कौन प्राप्त कर सकता है, और इससे जुड़े कानून क्या हैं।


1. गुजारा भत्ता (Alimony) क्या होता है?

गुजारा भत्ता एक वित्तीय सहायता होती है, जो तलाक के बाद आर्थिक रूप से निर्भर पति या पत्नी को दी जाती है। यह अस्थायी (Temporary) या स्थायी (Permanent) हो सकता है।

मुख्य उद्देश्य:

  • आर्थिक रूप से कमजोर पक्ष को सहारा देना।

  • तलाक के बाद जीवन स्तर को बनाए रखना।

  • पति या पत्नी की वित्तीय निर्भरता को संतुलित करना।


2. गुजारा भत्ता के प्रकार

A. अस्थायी गुजारा भत्ता (Interim Maintenance)

  • तलाक की प्रक्रिया के दौरान दिया जाता है।

  • यह तब तक जारी रहता है जब तक अंतिम फैसला नहीं हो जाता।

  • इसे सीआरपीसी की धारा 125 के तहत दिया जाता है।

B. स्थायी गुजारा भत्ता (Permanent Alimony)

  • तलाक के बाद दिया जाता है।

  • यह एकमुश्त (Lump Sum) या मासिक (Monthly) रूप में हो सकता है।

  • हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 25 के तहत दिया जाता है।


3. कौन-कौन गुजारा भत्ता पाने के हकदार हैं?

  1. पत्नी (Wife):

    • अगर पत्नी बेरोजगार या आर्थिक रूप से कमजोर है, तो उसे गुजारा भत्ता मिल सकता है।

    • यदि पत्नी शिक्षित और आत्मनिर्भर है, तो उसे गुजारा भत्ता नहीं दिया जाएगा।

  2. पति (Husband):

    • यदि पत्नी कमाती है और पति आर्थिक रूप से निर्भर है, तो पति भी गुजारा भत्ता मांग सकता है।

    • यह धारा 24 और 25 के तहत लागू होता है।

  3. बच्चे (Children):

    • नाबालिग बच्चों के लिए माता-पिता को गुजारा भत्ता देना पड़ता है।

    • बच्चों की शिक्षा और परवरिश के लिए भरण-पोषण दिया जाता है।

  4. माता-पिता (Parents):

    • वृद्ध माता-पिता अपने बच्चों से गुजारा भत्ता मांग सकते हैं।

    • यह सीआरपीसी की धारा 125 के तहत लागू होता है।


4. गुजारा भत्ता से जुड़े प्रमुख कानून

A. हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 (Hindu Marriage Act, 1955)

  • धारा 24: तलाक के दौरान पत्नी या पति को अस्थायी गुजारा भत्ता देने का प्रावधान।

  • धारा 25: स्थायी गुजारा भत्ता का प्रावधान।

B. आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 (Criminal Procedure Code, 1973 - CrPC)

  • धारा 125:

    • पत्नी, बच्चों और माता-पिता के लिए गुजारा भत्ता का अधिकार।

    • न्यायालय इसे लागू करने का आदेश दे सकता है।

C. मुस्लिम महिला (तलाक अधिकार संरक्षण) अधिनियम, 1986

  • तलाक के बाद मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता दिलाने का प्रावधान।

  • पति को तलाक के बाद ‘इद्दत’ (Iddat) की अवधि तक भरण-पोषण देना पड़ता है।

D. विशेष विवाह अधिनियम, 1954 (Special Marriage Act, 1954)

  • अंतरधार्मिक विवाह (Interfaith Marriage) के तहत तलाक होने पर गुजारा भत्ता दिया जाता है।


5. गुजारा भत्ता की गणना कैसे की जाती है?

गुजारा भत्ता की राशि कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि:

  1. पति-पत्नी की आय और संपत्ति।

  2. जीवन स्तर और आवश्यकताएं।

  3. शादी की अवधि (जितनी लंबी शादी, उतना ज्यादा गुजारा भत्ता)।

  4. बच्चों की जिम्मेदारी।

सामान्यतः:

  • पति की कुल आय का 25% - 40% पत्नी को दिया जा सकता है।

  • यदि पत्नी कामकाजी है, तो यह राशि कम हो सकती है।


6. गुजारा भत्ता न देने पर क्या होगा?

  • यदि पति या पत्नी अदालत के आदेश के बावजूद गुजारा भत्ता नहीं देते, तो अदालत सजा और जुर्माना लगा सकती है।

  • सीआरपीसी की धारा 125(3) के तहत जेल की सजा भी हो सकती है।


7. गुजारा भत्ता से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल (FAQs)

Q1. अगर पत्नी दोबारा शादी कर ले, तो क्या गुजारा भत्ता मिलेगा?

A. नहीं, यदि पत्नी पुनर्विवाह कर लेती है, तो गुजारा भत्ता बंद हो जाएगा।

Q2. क्या कामकाजी पत्नी को भी गुजारा भत्ता मिल सकता है?

A. अगर पत्नी की आय बहुत कम है और वह आत्मनिर्भर नहीं है, तो उसे गुजारा भत्ता मिल सकता है।

Q3. गुजारा भत्ता में कितनी राशि मिलती है?

A. यह पति की आय, संपत्ति, और जीवन स्तर पर निर्भर करता है। औसतन पति की आय का 25-40% तक दिया जाता है।

Q4. क्या पति भी गुजारा भत्ता मांग सकता है?

A. हां, अगर पत्नी की आमदनी ज्यादा है और पति आर्थिक रूप से कमजोर है, तो वह गुजारा भत्ता मांग सकता है।


8. निष्कर्ष (Conclusion)

गुजारा भत्ता एक कानूनी अधिकार है, जो आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति को तलाक के बाद दिया जाता है। सीआरपीसी की धारा 125, हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 24 और 25, और अन्य कानून इस विषय पर स्पष्ट प्रावधान प्रदान करते हैं। यदि आपको गुजारा भत्ता से संबंधित कोई समस्या हो, तो आप किसी अनुभवी वकील से परामर्श ले सकते हैं

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(इमेज आइडिया: अदालत में गुजारा भत्ता की याचिका, तलाक के कागजात, पति-पत्नी और बच्चों की स्थिति)

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