धारा 498A IPC – महिलाओं की सुरक्षा बनाम दुरुपयोग की सच्चाई
📌 IPC की धारा 498A – एक नज़र
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498A एक ऐसी कानूनी व्यवस्था है, जो विवाहित महिलाओं को पति और उसके परिवार द्वारा की गई क्रूरता से बचाने के लिए बनाई गई है। यह एक ग़ैर-जमानती और गंभीर अपराध माना जाता है।
🔹 क्या कहती है धारा 498A?
यदि कोई महिला अपने पति या ससुराल पक्ष द्वारा शारीरिक या मानसिक रूप से प्रताड़ित की जाती है, विशेषकर दहेज की मांग को लेकर, तो यह धारा लागू होती है।
🔹 सज़ा का प्रावधान
इस धारा के तहत दोषी पाए जाने पर 3 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।
⚠️ धारा 498A का दुरुपयोग
हाल के वर्षों में यह देखने को मिला है कि कुछ मामलों में इस धारा का गलत इस्तेमाल भी हुआ है। झूठे केस दर्ज कराकर परिवार को फँसाने की कोशिश की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर चिंता व्यक्त की है और जांच के लिए दिशा-निर्देश दिए हैं।
✔️ आपकी सुरक्षा के उपाय
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केस दर्ज होते ही बेल की तैयारी करें।
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सबूत जुटाएं – कॉल रिकॉर्ड्स, गवाह, CCTV, इत्यादि।
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अनुभवी वकील से संपर्क करें।
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झूठे केस के खिलाफ मानहानि या धारा 211 के तहत प्रतिवाद दर्ज करें।
📞 कानूनी सलाह के लिए तुरंत संपर्क करें:
👨⚖️ एडवोकेट अनुराग गुप्ता
📱 मोबाइल: 8921942803
📲 व्हाट्सएप: 8240642015
📧 ईमेल: gripshawlaw2005@gmail.com
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