धारा 138 एनआई एक्ट: चेक बाउंस के मामलों की कानूनी प्रक्रिया
परिचय
धारा 138, नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जो चेक बाउंस से संबंधित मामलों को दंडनीय अपराध बनाता है। यह कानून व्यापारिक लेनदेन में विश्वास बनाए रखने और चेक के माध्यम से भुगतान की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया है। इस लेख में हम धारा 138 की प्रक्रिया, सजा, आवश्यक शर्तों और कानूनी उपायों को विस्तार से समझेंगे।
धारा 138 क्या कहती है?
यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर या बिना पर्याप्त राशि के बैंक में चेक जारी करता है, और वह चेक बाउंस हो जाता है, तो यह एक आपराधिक अपराध माना जाएगा, बशर्ते:
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चेक किसी ऋण या देनदारी के भुगतान हेतु दिया गया हो।
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चेक बैंक में तीन महीने की वैधता अवधि के भीतर प्रस्तुत किया गया हो।
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चेक अस्वीकृति (dishonour) के बाद, प्राप्तकर्ता को 30 दिनों के भीतर लिखित नोटिस भेजा गया हो।
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भुगतान की मांग के बावजूद, जारीकर्ता ने 15 दिनों के भीतर राशि का भुगतान नहीं किया हो।
सजा का प्रावधान
यदि अपराध सिद्ध होता है, तो दोषी को:
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दो वर्ष तक की सजा, या
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दोगुनी राशि तक का जुर्माना, या
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दोनों, हो सकते हैं।
शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया
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चेक बाउंस होने पर बैंक से मेमो लेना।
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जारीकर्ता को 30 दिनों के भीतर कानूनी नोटिस भेजना।
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यदि भुगतान नहीं होता, तो 15 दिन बाद और 45 दिनों के भीतर मजिस्ट्रेट के समक्ष शिकायत दर्ज करना।
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मजिस्ट्रेट प्रथम दृष्टया जांच कर समन जारी कर सकते हैं।
मुख्य बिंदु:
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यह संज्ञेय अपराध नहीं है, यानि पुलिस सीधे इसमें FIR दर्ज नहीं कर सकती।
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शिकायतकर्ता को खुद कोर्ट में जाना होता है।
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यह अपराध कंपाउंडेबल है – यानी पक्षकार आपसी समझौते से इसे समाप्त कर सकते हैं।
रक्षा और जवाब
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चेक ऋण के लिए नहीं बल्कि उपहार या उधार के वचन के रूप में दिया गया था।
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चेक में हस्ताक्षर नहीं किए गए थे।
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चेक गुम हो गया था और दुरुपयोग किया गया।
निष्कर्ष
धारा 138 एनआई एक्ट का उद्देश्य चेक लेनदेन की प्रक्रिया को सुरक्षित और भरोसेमंद बनाना है। यह कानून व्यवसायियों और आम नागरिकों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है। परंतु, शिकायतकर्ता को यह ध्यान रखना चाहिए कि समयसीमा, उचित प्रक्रिया और साक्ष्य की भूमिका इस कानून में अत्यंत महत्वपूर्ण होती है।
इस लेख के माध्यम से आप समझ सकते हैं कि चेक बाउंस की स्थिति में क्या-क्या कानूनी उपाय उपलब्ध हैं और सही समय पर क्या कदम उठाने चाहिए।
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