⚖️ धारा 126 CrPC क्या है? | भरण-पोषण याचिका की प्रक्रिया और स्थान
🔷 CrPC की धारा 126 क्या है?
जहाँ धारा 125 CrPC भरण-पोषण का अधिकार देती है, वहीं धारा 126 CrPC बताती है कि ऐसी याचिका किस कोर्ट में और कैसे दाखिल की जाएगी। इसका उद्देश्य प्रक्रिया को सरल और स्पष्ट बनाना है।
📍 धारा 126 के तहत याचिका कहां दाखिल की जा सकती है?
भरण-पोषण से संबंधित याचिका निम्नलिखित स्थानों पर दाखिल की जा सकती है:
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जहां प्रतिवादी (जैसे पति या पुत्र) निवास करता है।
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जहां आवेदक (जैसे पत्नी, संतान या माता-पिता) निवास करता है।
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जहां प्रतिवादी ने अंतिम बार आवेदक के साथ निवास किया हो।
🔸 इसका मतलब है कि पीड़ित पक्ष को यह सुविधा दी जाती है कि वह अपने नजदीकी स्थान पर ही याचिका दाखिल कर सके।
👩⚖️ किस कोर्ट में याचिका दी जाती है?
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यह याचिका प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट या द्वितीय श्रेणी मजिस्ट्रेट की अदालत में दाखिल की जाती है, जिसे राज्य सरकार ने अधिकृत किया हो।
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मजिस्ट्रेट कोर्ट की प्रक्रिया आमतौर पर सरल, शीघ्र और कम खर्चीली होती है।
📝 प्रक्रिया क्या है?
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आवेदक धारा 125 के तहत भरण-पोषण के लिए आवेदन करता है।
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धारा 126 के अनुसार मजिस्ट्रेट कोर्ट पहले यह जांचती है कि आवेदन उचित क्षेत्राधिकार में दाखिल किया गया है या नहीं।
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इसके बाद सुनवाई शुरू होती है।
⚠️ नोट करने योग्य बातें:
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अगर प्रतिवादी कोर्ट में उपस्थित नहीं होता, तो अदालत उसे तारीख पर बुलाने के लिए समन या वारंट जारी कर सकती है।
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सुनवाई की प्रक्रिया लोक न्याय (open court) में होती है, लेकिन विशेष परिस्थितियों में सीमित लोगों के सामने (in-camera) भी हो सकती है।
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🔚 निष्कर्ष:
धारा 126 CrPC भरण-पोषण मामलों में एक अहम कानूनी मार्गदर्शिका है, जो यह तय करती है कि मामला किस कोर्ट में दाखिल होगा। सही कोर्ट में याचिका दाखिल करना एक प्रभावी न्याय की दिशा में पहला कदम होता है।
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