डार्क वेब पर अपराध: पुलिस इसे कैसे रोक रही है?

 

डार्क वेब पर अपराध: पुलिस इसे कैसे रोक रही है?


परिचय

डार्क वेब इंटरनेट का एक ऐसा हिस्सा है जो सामान्य सर्च इंजनों के माध्यम से सुलभ नहीं होता। इसे एक्सेस करने के लिए विशेष ब्राउज़रों की आवश्यकता होती है, जैसे कि TOR (The Onion Router)। जबकि डार्क वेब का उपयोग गोपनीयता की रक्षा करने के लिए किया जाता है, यह अवैध गतिविधियों का भी केंद्र बन चुका है। इस ब्लॉग में, हम डार्क वेब पर होने वाले अपराधों, पुलिस द्वारा अपनाई जाने वाली रणनीतियों और इसे रोकने के कानूनी उपायों पर विस्तृत चर्चा करेंगे।

डार्क वेब क्या है?

डार्क वेब इंटरनेट का एक छिपा हुआ हिस्सा है जो पारंपरिक ब्राउज़रों से एक्सेस नहीं किया जा सकता। इसे तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है:

  1. सरफेस वेब: सामान्य वेबसाइटें जो गूगल, बिंग, याहू आदि पर मिलती हैं।

  2. डीप वेब: पासवर्ड-प्रोटेक्टेड डेटा, सरकारी डेटाबेस, बैंकिंग साइट्स आदि।

  3. डार्क वेब: पूरी तरह से एन्क्रिप्टेड नेटवर्क, जिसे केवल विशेष ब्राउज़र से एक्सेस किया जा सकता है।

डार्क वेब पर होने वाले प्रमुख अपराध

डार्क वेब अपराधियों के लिए एक सुरक्षित शरणस्थली बन चुका है, जहां विभिन्न अवैध गतिविधियां संचालित की जाती हैं। इनमें शामिल हैं:

  1. मादक पदार्थों की तस्करी:

    • क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से ड्रग्स की खरीद-फरोख्त।

    • गुप्त ऑनलाइन मार्केटप्लेस जैसे कि सिल्क रोड (Silk Road) का इस्तेमाल।

  2. हथियारों की अवैध बिक्री:

    • बिना लाइसेंस के हथियारों की खरीद और बिक्री।

    • आतंकवादी समूहों द्वारा उपयोग।

  3. हैकिंग और साइबर अपराध:

    • बैंक अकाउंट हैकिंग, फिशिंग, मालवेयर फैलाना।

    • क्रेडिट कार्ड की जानकारी और व्यक्तिगत डेटा की चोरी।

  4. बाल शोषण और मानव तस्करी:

    • बाल अश्लीलता सामग्री का प्रसार।

    • गुप्त रूप से मानव तस्करी रिंग संचालित करना।

  5. फर्जी दस्तावेज़ और पहचान की चोरी:

    • पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, आधार कार्ड की जालसाजी।

    • नकली डेबिट/क्रेडिट कार्ड की बिक्री।

  6. मनी लॉन्ड्रिंग और क्रिप्टोकरेंसी धोखाधड़ी:

    • बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग अवैध लेन-देन के लिए।

पुलिस और कानून प्रवर्तन एजेंसियां डार्क वेब अपराधों को कैसे रोक रही हैं?

डार्क वेब अपराधों से निपटने के लिए विभिन्न अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय एजेंसियां मिलकर काम कर रही हैं। इनमें FBI, Europol, Interpol और भारतीय साइबर क्राइम सेल प्रमुख हैं। निम्नलिखित तरीके अपनाए जा रहे हैं:

1. विशेष साइबर यूनिट की स्थापना

  • साइबर अपराध सेल और डिजिटल फॉरेंसिक लैब्स की स्थापना।

  • TOR नेटवर्क पर ट्रैकिंग और निगरानी प्रणाली विकसित करना।

2. डार्क वेब मॉनिटरिंग टूल्स का उपयोग

  • AI और मशीन लर्निंग तकनीक से संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखना।

  • डिजिटल वाटरमार्किंग तकनीकों का उपयोग कर गैरकानूनी लेन-देन की पहचान करना।

3. क्रिप्टोकरेंसी ट्रैकिंग और मनी लॉन्ड्रिंग विरोधी कदम

  • ब्लॉकचेन एनालिसिस टूल्स से संदिग्ध बिटकॉइन वॉलेट की पहचान।

  • क्रिप्टो एक्सचेंजों पर निगरानी बढ़ाना।

4. अंतरराष्ट्रीय सहयोग और संयुक्त ऑपरेशन

  • Europol, Interpol और अन्य वैश्विक संस्थाओं के साथ डेटा साझा करना।

  • संयुक्त साइबर क्राइम ऑपरेशन, जैसे कि "ऑपरेशन डिसरप्टर," जिसमें सैकड़ों डार्क वेब मार्केटप्लेस बंद किए गए।

5. डार्क वेब मार्केटप्लेस को बंद करना

  • सिल्क रोड, अल्फाबे, हाइड्रा जैसे अवैध मार्केटप्लेस को बंद करने के लिए लगातार ऑपरेशन।

6. कानूनी और विधायी सुधार

  • IT अधिनियम, 2000 में संशोधन कर सख्त साइबर कानून लागू करना।

  • IPC की विभिन्न धाराओं में संशोधन कर डार्क वेब से जुड़े अपराधों को कवर करना।

भारत में डार्क वेब अपराधों के खिलाफ कानून

भारत में डार्क वेब से जुड़े अपराधों को रोकने के लिए कई कानून लागू किए गए हैं:

  1. सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000:

    • धारा 66B: चोरी किए गए डेटा का उपयोग करने पर सजा।

    • धारा 66C: पहचान की चोरी और जालसाजी पर दंड।

    • धारा 67: आपत्तिजनक सामग्री के वितरण पर सजा।

  2. भारतीय दंड संहिता (IPC):

    • धारा 420: धोखाधड़ी से संबंधित अपराध।

    • धारा 465: जालसाजी के अपराध।

    • धारा 471: फर्जी दस्तावेजों का उपयोग।

  3. मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम, 2002:

    • डिजिटल करेंसी के माध्यम से काले धन को सफेद करने पर रोक।

आम जनता के लिए सुरक्षा उपाय

  1. कभी भी TOR ब्राउज़र या डार्क वेब एक्सेस करने का प्रयास न करें।

  2. संवेदनशील डेटा साझा करने से बचें और मजबूत पासवर्ड का उपयोग करें।

  3. फिशिंग लिंक और संदिग्ध ईमेल से बचें।

  4. किसी भी संदिग्ध गतिविधि की रिपोर्ट करें।

निष्कर्ष

डार्क वेब अपराधों की बढ़ती संख्या के बावजूद, पुलिस और कानून प्रवर्तन एजेंसियां इसे रोकने के लिए लगातार नए तकनीकी और कानूनी उपाय अपना रही हैं। जनता को भी सतर्क रहकर और साइबर सुरक्षा के नियमों का पालन कर खुद को इन अपराधों से बचाने की आवश्यकता है।

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